बच्चों में बुखार के लिए 14 सर्वश्रेष्ठ घरेलू उपचार आसान तरीके

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स्वास्थ्य सुझाव: 5 मिनट में उच्च बुखार को कम करने के सबसे आसान तरीके

बच्चों में बुखार के लिए 14 सर्वश्रेष्ठ घरेलू उपचार आसान तरीके

 अक्सर देखा जाता है कि मौसम बदलते ही शरीर में संक्रमण बढ़ने लगता है। जिसके कारण वृद्धि होती है, बुखार आने लगता है और जिसके कारण शरीर का तापमान तेजी से बढ़ने लगता है। जिसकी वजह से उन्हें और भी कई अन्य रोगों से सामना करना पड़ता है और फिर बुखार उन्हें तेजी से कमजोर करने लगता है जिससे उनका इम्यून सिस्टम पूरी तरीके से काम नहीं करता और हमारे बच्चे अन्य कई बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। बुखार के तेजी से बढ़ने के कारण बच्चे बहुत जल्दी कमजोर होने लगते हैं। जो एक चिंताजनक कारण बनता है। यदि आपका बच्चा तेज बुखार से पीड़ित है, तो आज हम आपको यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि कैसे घर पर आप अपने बच्चे के बुखार को पांच मिनट में कम कर सकते हैं।

बच्चों में बुखार के लिए 14 सर्वश्रेष्ठ घरेलू उपचार आसान तरीके

*घरेलू उपचार


 आलू: बढ़ते बुखार के तापमान को कम करने के लिए, आपको पहले दो आलू पीसकर पेस्ट बनाना चाहिए। इस पेस्ट को अपने बच्चे के मोजे में लगाएं और इन मोजे को अपने बच्चे को पहनाएं। कुछ ही मिनटों में, आप देखेंगे कि बच्चे के तापमान को कम करने में कितनी जल्दी मदद मिलती है।

 गीला कपड़ा: तेजी से बढ़ते बुखार को कम करने के लिए, एक सूती कपड़े को ठंडे पानी में भिगोकर निचोड़ लें और इसे बच्चे के माथे और जांघों पर थोड़ी देर के लिए रखें। और बुखार रहने तक इस प्रक्रिया को करते रहें। इस प्रक्रिया को हम सभी लोग प्राचीन काल से इस्तेमाल करते आ रहे हैं और इस प्रक्रिया को करते समय एक बात का ध्यान रखें कि आपके बच्चे को बुखार ज्यादा तेज ना हो अगर ज्यादा तेज बुखार है तो आप डॉक्टर के सुझाव से यह कर सकते हैं।

बच्चों में बुखार के लिए 14 सर्वश्रेष्ठ घरेलू उपचार आसान तरीके

*घरेलू उपचार


 तरल पदार्थ: बुखार के दौरान, आपको अपने बच्चे को खूब ठंडा भोजन देना चाहिए। यह एक बहुत अच्छा उपाय है। आप उस दौरान दही या आइसक्रीम भी खिला सकते हैं। यह आपके बच्चे को हाइड्रेटेड रखेगा और उसके शरीर को ठंडक देगा और बुखार कम करेगा। जब आप बच्चे को तरल पदार्थ में आइसक्रीम या दही खिलाते हैं तब उनका शरीर थोड़ा ठंडा होना शुरू हो जाता है जिससे हमारा इम्यून सिस्टम काम करने लगता है और बुखार धीरे-धीरे कम होने लगता है


1, बुखार के कारन, लक्षण और इलाज


2, बरसात के दिनों में बुखार पर इन चीजों पर विशेष ध्यान दिया जाता है


3, मॉनसून में हो रहे कई प्रकार के बुखार, ये हैं वायरल के लक्षण


4,जाने क्या है टाइफाइड फीवर


5, बार-बार बुख़ार आना किसी और बीमारी का संकेत भी हो सकता है


6, इन बीमारियों में वायरल फीवर हो सकता है

जानलेवा


7, बार बार बुखार आने का इलाज : सभी तरह के बुखार भागने के उपाय


8, जानिए वायरल बुखार से जुड़ी जरूरी बातें


9, शिशुओं और बच्चों में बुखार


10, बच्चों में वायरल बुखार: लक्षण और कारण


11, आखिर रात को बुखार क्‍यों हो जाता है तेज


12, बार-बार ऐसा बुखार आना जल्दी बूढ़ा कर देता है आपको, रहें बचकर


13, हर तरह के बुखार की रामबाण औ‍षधि है 'गिलोय'


14, इन घरेलू नुस्‍खों से दें वायरल फीवर को मात


15, बुखार कम करने के घरेलू उपाय


16, टाइफाइड बुखार से बचाव के लिए घरेलू इलाज


17, बुखार में खानपान : क्या खाएं और क्या ना खाएं


18, बुखार में Normal or आयुर्वेदिक डाइट


19, तुरंत बुखार उतारने की दवा : 5 अंग्रेजी और आयुर्वेदिक उपाय

*बुखार क्या और क्यों होता है


बैक्टीरिया, वायरस, कवक और अन्य प्रकार के रोगाणुओं जैसे कई सूक्ष्म जीव मानव शरीर में प्रवेश करते हैं, लगभग हर दिन। प्रतिरक्षा प्रणाली आमतौर पर इन सूक्ष्म जीवों से लड़ती है, जो उन्हें शरीर के भीतर किसी भी बड़ी समस्या का कारण बनती रहती है। हालांकि, ऐसे समय हो सकते हैं जब प्रतिरक्षा प्रणाली उन सभी से लड़ नहीं सकती और उन्हें शरीर से खत्म नहीं कर पाती है। जब एक व्यक्ति प्रतिरक्षा प्रणाली इन हानिकारक वायरस को रोकने में विफल हो जाती है, तो वे आमतौर पर शरीर में संक्रमण का कारण बनती हैं। यह बाद में शरीर में बुखार के तोर पेह पेश होता है ।


*बुखार के लक्षण


किसी प्रकार की बीमारी होने पर शरीर के द्वारा गयी प्रतिक्रियाएं जिससे हम मेडिकल भाषा में सिकनेस बिहेवियर(रोग आचरण) कहते हैं। इसी प्रकार बुखार  होने की स्तिथि में, आप यह बुखार के लक्षण महसूस कर सकते हैं:

ठंडा महसूस करनाकंपकंपी भूख मिट


जाना निर्जलीकरणडिप्रेशन या अवसादहाइपर-अलगेसिअ –


दर्द के प्रति संवेदनशीलता में बढ़ावथकान और सुस्तीध्यान केंद्रित करने में समस्याएंतंद्रापसीना आना

यदि बुखार तेज़ होता है, तो आप यह बुखार के लक्षण  के साथ चिड़चिड़ापन, भ्रम और दौरे भी महसूस कर सकते हैं।

https://informationaboutalltopic.blogspot.com/2020/09/potassium-deficiency.html

*बुखार के कारण जैसे की:


एक संक्रमण, जैसे फ्लू, चिकनपॉक्स, या निमोनियासंधिशोथ ( rheumatoid arthritis )कुछ दवाइओ का भी साइड-इफ़ेक्ट हो सकता है बुखार सूरज की रोशनी, या सनबर्न के लिए त्वचा का ज़्यादा – अनावरणगर्मी का दौरा, या तो उच्च तापमान या लंबे समय तक सख्त अभ्यास के संपर्क में रहने से होता हैनिर्जलीकरणसिलिकोसिस -जो एक फेफड़ो की बीमारी होती हैशराब की वापसी से भी हो सकता है


*बुखार का निदान


आम तौर पर बुखार का निदान (bukhaar ka needan) एक सरल प्रक्रिया है। जिसमें मरीज का तापमान लिया जाता है, और अगर ताप एक स्तर से ऊपर होता है तोह तो उससे बुखार कहेंगे। ताप मापने वक़्त इस बात का ध्यान रखना चईये की पीड़ित विख्याति आराम की अवस्था में हो। क्यूंकि किसी भी प्रकार की शारारिक गतिविड़ी हमारे शरीर का तापमान बढ़ा सकती है।



*एक व्यक्ति को बुखार में पीड़ित कहा जाता है जब:


मुंह में तापमान 37.7 डिग्री सेंटीग्रेड (99.9 डिग्री फ़ारेनहाइट) से अधिक होता है।गुदाशय (गुदा) में तापमान 37.5-38.3 डिग्री सेंटीग्रेड (100-101 फारेनहाइट) से अधिक होता है।हाथ के नीचे या कान के अंदर का तापमान 37.2 सेंटीग्रेड (99 फारेनहाइट) से अधिक होता है।


हमें यह याद रकना चईये की बुखार एक लक्षण  होता है और नाकि एक बीमारी। इसलिय जब डॉक्टर बुखार का पुष्टि करें चुके होते हैं तोह फिर यह मरीज़ को टेस्ट करवाने के लिए भेजता है। और उस टेस्ट के हिसाब से डॉक्टर आगे बीमारी या बुखार का निदान (bukhaar ka needan) करता है।



*बुखार का इलाज और घरेलु नुस्क


कम ताप वाले बुखार के लिए आपको डॉक्टर की दवाई की ज़रुरत न पढ़ें। बल्कि कम ताप वाल्ला बुखार हकीकत में हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होता है क्यूंकि यह शरीर में बढे इन्फेक्शन को मार देता है।


*बुखार का इलाज


उच्च बुखार के मामले में, या कम बुखार जो असुविधा पैदा कर रहा है, आपका डॉक्टर एसिटामिनोफेन (टायलोनोल, अन्य) या इबुप्रोफेन (एडविल, मोटरीन आईबी, अन्य) जैसे ओवर-द-काउंटर दवा दे सकता है।एंटीबायोटिक वायरल संक्रमण का इलाज नहीं करते हैं, लेकिन कुछ वायरल संक्रमणों के इलाज के लिए इस्तेमाल कुछ एंटीवायरल दवाएं हैं। हालांकि, वायरस के कारण सबसे छोटी बीमारियों के लिए सबसे अच्छा इलाज अक्सर आराम किया जाता है और बहुत सारे तरल पदार्थ।

बरसात के दिनों में बुखार पर इन चीजों पर विशेष ध्यान दिया जाता है

बुखार का मौसम भी शुरू होता है क्योंकि बरसात का मौसम आता है। इस मौसम के दौरान, वायरस और बैक्टीरिया फैलाने वाला बुखार बहुत सक्रिय है। जिन लोगों को बीमारी की कम प्रतिरक्षा है, वे बुखार हैं। वायरल बुखार सिरदर्द, शरीर में दर्द, शरीर का तापमान बढ़ता है, सिरदर्द बढ़ता है। आज, हम आपको कुछ बताएंगे जो आपको अपने विचारों को अच्छी तरह से रखने में मदद कर सकता है, हमें इन चीजों के बारे में बताएं .....

* मौसमी संतरे और निबोन खाएं जिनमें विटामिन सी और वीटा कैरोटीन होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाते हैं।

* आहार भोजन में वायरल बुखार का भरपूर खाना चाहिए। जस्ता बहुत सारे डाई भोजन में पाया जाता है।

* मौसमी संतरे और निबोन खाएं जिनमें विटामिन सी और वीटा कैरोटीन होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाते हैं।

* आहार भोजन में वायरल बुखार का भरपूर खाना चाहिए। जस्ता बहुत सारे डाई भोजन में पाया जाता है।

* कैलोरी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस और खनिजों में लहसुन में पाए जाते हैं। यह सर्दी, सर्दी, दर्द, सूजन और त्वचा से संबंधित रोगों का कारण नहीं बनता है। लहसुन घी या तेल का इस्तेमाल स्वादयुक्त सॉस के रूप में भी किया जा सकता है।

* खूब पानी पिए। निर्जलीकरण के अलावा, यह शरीर को सूक्ष्म जीवों पर हमला करने में मदद करता है।

* तुलसी के पत्तों में खांसी, सर्दी, बुखार और श्वसन रोग से लड़ने की शक्ति होती है। बदलते मौसम में तुलसी की पत्तियों को उबलते हुए, या चाय में जोड़कर, नाक और गले में संक्रमण पीएं।

* वायरल बुखार में हरी और पत्तेदार सब्जियों की अधिक मात्रा का उपयोग करें। चूंकि हरी सब्जियों में पानी की अधिक मात्रा होती है, इसलिए कोई निर्जलीकरण नहीं होता है।

* टमाटर, आलू और संतरे खाओ। विटामिन सी बहुतायत में पाया जाता है।

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मॉनसून में हो रहे कई प्रकार के बुखार, ये हैं वायरल के लक्षण


  सीजन के बदलने पर लोगों को कई बीमारियां अपनी चपेट में ले लेती हैं, जैसे जुखाम, खांसी, बुखार। कई लोग ऑफिस या काम पर जाने के लिए एंटीबायोटिक का सेवन करते हैं, ऐसा करना गलत है। बिना डॉक्टर की सलाह लिए कोई भी मेडिसिन लेना शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। साथ ही मॉनसून में होने वाला बुखार भ्रम भी पैदा करता है।
बुखार कई प्रकार के होते हैं। इसमें मलेरिया, डेंगू, 
चिकनगुनिया, पीलिया और टायफायड शामिल हैं। इन सभी के लक्षण मिलते-जुलते रहते हैं। मॉनसून के बुखार में एस्प्रिन लेना नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि कई किस्म के बुखार में प्लेटलेट्स की संख्या घटने लगती है।


मॉनसून में होने वाले बुखार के लक्षण


अगर मॉनसून में बुखार हो तो इन बातों का ध्यान रखें:
जब तक टायफायड की पहचान न हो जाए, तब तक कोई भी एंटीबायटिक न लें। खांसी, आंखों का लाल होना और जुखाम आदि वायरल विकार की वजह से भी हो सकता है। डेंगू होने पर आखें हिलाने पर दर्द होता है। वहीं, चिकनगुनिया में मरीज़ को बुखार, रैशेज़ और जोड़ों में दर्द होता है। कलाई के जोड़ों को दबाने से जोड़ों का दर्द बढ़ता है। मलेरिया के बुखार में कपकपी छूटती है और कठोरपन आ जाता है। बुखार के बीच में टोक्सीमिया नहीं होता।

पीलिया में जब तक पीलिया सामने आता है तब तक बुखार चला जाता है। टायफायड का रोगी टॉक्सिक लगता है और उसकी नब्ज बुखार से कम होती है। ज़्यादातर वायरल बुखार अपने आप नियंत्रित होते हैं और एक सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। मॉनसून के ज़्यादातर वायरल विकारों में उचित मात्रा में पानी लेने से इलाज हो जाता है। किसी लंबी मेडिकल बीमारी के दौरान बुखार होने पर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

जाने क्या है टाइफाइड फीवर


टाइफायड साल्मोनेला बैक्टीरिया से फैलने वाली खतरनाक बीमारी है। इसे मियादी बुखार भी कहते हैं। टाइफायड  बुखार पाचन तंत्र और ब्लटस्ट्रीम में बैक्टीरिया के इंफेक्शन की वजह से होता है। गंदे पानी, संक्रमित जूस या पेय के साथ साल्मोनेला बैक्टीरिया हमारे शरीर के अंदर प्रवेश कर जाता है। टायफायड की संभावना किसी संक्रमित व्यक्ति के जूठे खाद्य-पदार्थ के खाने-पीने से भी हो सकती है। वहीं दूषित खाद्य पदार्थ के सेवन से भी ये संक्रमण हो जाता है। पाचन तंत्र में पहुंचकर इन बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है। शरीर के अंदर ही ये बैक्टीर‌िया एक अंग से दूसरे अंग में पहुंचते हैं। टाइफायड के इलाज में जरा भी लापरवाही नहीं बरतनी चाह‌िए। दवाओं का कोर्स पूरा न किया जाए तो इसके वापस आने की भी संभावना रहती है।


*क्या है टाइफायड 


टाइफायड के बैक्टीरिया इंसानों के शरीर में ही पाया जाता है। इससे संक्रमित लोगों के मल से सप्लाई का पानी दूषित हो जाता है। ये पानी खाद्य पदार्थों में भी पहुंच सकता है। बैक्टीरिया पानी और सूखे मल में हफ्तों तक ‌जिंदा रहता है। इस तरह ये दूषित पानी और खाद्य पदार्थों के जरिए शरीर में पहुंचकर संक्रमण पहुंचाता है। संक्रमण बहुत अधिक हो जाने पर 3 से 5 फीसदी लोग इस बीमारी के कैरियर हो जाते हैं। जहां कुछ लोगों को हल्की से परेशानी होती है, जिसके लक्षण पहचान में भी नहीं आते वहीं कैरियर लंबे समय के लिए इस बीमारी से ग्रसित रहते हैं। उनमें भी ये लक्षण दिखाई नहीं देते लेकिन कई सालों तक इनसे टाइफायड का संक्रमण हो सकता है।


संक्रमित पानी या खाना खाने के बाद साल्मोनेला छोटी आंत के जरिए ब्लड स्ट्रीम में मिल जाता है। लिवर, स्प्लीन और बोनमैरो की श्वेत रुधिर क‌णिकाओं के जरिए इनकी संख्या बढ़ती रहती है और ये रक्त धारा में फिर से पहुंच जाते हैं। बुखार टाइफायड का प्रमुख लक्षण है। इसके बाद संक्रमण बढ़ने के साथ भूख कम होना, सिरदर्द, शरीर में दर्द होना, तेज बुखार, ठंड लगना, दस्त लगना, सुस्ती, कमजोरी और उल्टी  जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। आंतों के संक्रमण के कारण शरीर 

*घरेलू उपचार


1. तुलसी और सूरजमुखी के पत्तों का रस निकालकर पीने से टाइफायड में राहत मिलती है।

2. लहसुन की तासीर गर्म होती है और यह प्राकृतिक एंटीबायोटिक है। घी में 5 से 7 लहसुन की कलियां पीसकर तलें और सेंधा नमक मिलाकर खाएं। 

3. सेब का जूस निकालकर इसमें अदरक का रस मिलाकर प‌िएं, इससे हर तरह के बुखार में राहत मिलती है।

4. पके हुए केले को पीसकर इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार खाएं।

5. लौंग में टाइफायड ठीक करने के गुण होते हैं। लौंग के तेल में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। आठ कप पानी में 5 से 7 लौंग डालकर उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए इसे छान लें। इस पानी को पूरा दिन पीएं। इस उपचार को एक हफ्ते लगातार करें।< /div>


मूल रूप से बुख़ार किसी अन्य बीमारी या स्वास्थ समस्या के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. यह एक संकेत है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण से लड़ रही है।आइये, आज हम आपकी जानकारी के लिए बताते हैं ,बुख़ार के लक्षण,प्रकार और कारण।

किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान जब सामान्य से अधिक हो जाता है, तो हम कहते हैं कि उसे बुख़ार हो गया है. हम सभी कभी ना कभी बुख़ार से पीड़ित ज़रूर होते हैं.

बुखार वास्तव में कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक लक्षण है जिससे ये पता चलता है, कि हमारे शरीर में किसी तरह का संक्रमण हो गया है. बुखार कई कारणों से हो सकता है, जैसे ज़्यादा शारीरिक मेहनत करने से, ज़्यादा गर्म वातावरण में, पीरियड्स के समय, लू लगने से, बैक्टीरियल, वायरल फंगल इन्फेक्शन के कारण या किसी रोग के प्रभाव से.


बुखार होने पर कई शारीरिक लक्षण भी प्रकट होते हैं, जैसे सर में दर्द होना, मांसपेशियों में दर्द होना, सर्दी लगना, शरीर में कमज़ोरी होना, कमर में दर्द होना, त्वचा पर दाने निकल आना, बहुत पसीना आना, चक्कर आना, कपकपी होना, बेहोश हो जाना, बेहोशी में बड़बड़ाना, डार्क सर्कल्स आना इत्यादि.

सामान्य बुखार (सिंपल फीवर) बुखार का एक प्रकार है और ऐसा बुखार होने पर कई घरेलू उपचार किये जा सकते हैं. ऐसा बुखार अक्सर बारिश में भींग जाने से, पानी के संपर्क में ज़्यादा देर रहने से, गीले कपड़े पहनने से, जुकाम होने पर, कब्ज़

होने पर, लूज़ मोशन होने पर, पेट दर्द या पेट में कोई भी समस्या होने से, रात को जागने से, अनियमित दिनचर्या के कारण, मानसिक तनाव के कारण, मौसम में बदलाव के कारण, धूप में ज़्यादा समय घूमने से, और ज़्यादा शारीरिक श्रम करने से हो जाता है.

अक्सर घरेलू उपचारों से ही सामान्य / साधारण बुखार ठीक भी हो जाता है. इसके अलावा पेरासिटामोल, एस्पिरिन, आईब्रुफेन जैसी कुछ दवाएं भी बुखार में बेहद असरदार होती हैं और कई बार दवा की एक-दो गोली खाते ही बुखार छूमंतर हो भी जाता है. लेकिन बुखार अगर बार बार आये तो ये चिंता का विषय है.साधारण ज्वर के अलावा बुखार के अन्य प्रकार भी हैं. बुखार के प्रकारों में सविराम ज्वर, अविराम ज्वर, स्वलप-विराम ज्वर सम्मिलित हैं.

बुखार अगर बार-बार हो रहा है या लगातार बना ही हुआ है, तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है. ऐसी बीमारियों में टायफायड, हेपेटाइटिस-बी, जॉन्डिस, मलेरिया, डेंगू, लिवर की खराबी, चिकनगुनिया, और कई अन्य बीमारियाँ आतें हैं. अगर आप बार-बार होने वाले बुख़ार को अनदेखा कर रहे हैं ,तो आपको इसके घातक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

बुखार चाहे आपके बच्चे को हो रहा हो, घर के किसी सदस्य को हो रहा हो या आपको, किसी भी परिस्थिति में आप बार-बार होने वाले बुखार को अनदेखा ना करें. आप बार-बार पेरासिटामोल या बुखार की कोई अन्य दवा का इस्तेमाल करके बुखार को दबाने की बजाय चिकित्सक की सलाह लें.

अगर आपने समझदारी से काम नहीं लिया तो ऐसा बुखार जानलेवा भी हो सकता है| ख़ासकर नवजात या छोटे बच्चे, और वृद्ध अगर बुख़ार से ग्रस्त हों, तो उन्हें अपनी समझ से दवा देने की बजाय हमेशा डॉक्टर के सुझाव के अनुसार ही दवा दें और बाकी निर्देशों का भी पालन करें|

* बुखार में सर्दी से तुरंत राहत


अगर आपको बुखार में सर्दी बहुत हो रही है, जुकाम के वजह से नाक बंद है तो आप पतंजलि स्टोर से “दिव्यधारा” नाम की एक liquid फॉर्म में दवा आएगी उसे खरीद लें, फिर दो लोटे पानी ले और उसे अच्छा पूरा उबाल लें, उबालने लेने के बाद एक कम्बल ओढ़कर बेथ जाए और और गर्म अपनी को कम्बल के अंदर रख लें. अब दिव्यधारा की 1/2 बून्द इसमें डाल दें. इसके बाद अगले 10 मिनट तक वैसे ही बैठे रहे और गहरी-गहरी सांस लेते रहे. (नोट: इसमें आपका मन होगा की अभी उठ जाओ लेकिन ध्यान रहे आपको उठना नहीं है पुरे 10 मिनट तक इस भांप को लेना है) इससे तुरंत आपकी नाक पूरी खुल जाएगी और जुकाम से भी राहत मिलेगी. सर्दी जुकाम और बुखार में कोनसी दवाई लेनी चाहिए इसके बारे में हम ऊपर बता चुके है.

* लहसुन की दवा बनाये इस तरह


आप बुखार में लहसुन का उपयोग भी कर सकते हैं, क्योंकि इसमें भी वह गुण होते हैं जो की एक बुखार के इलाज की दवाई में होते हैं. लहसुन की पांच कलियां लें और इन्है घी में डालकर तवे पर सेंक कर खाये. आप तो पांच लहसुन की कलियों को तवे पर डाल दे और इसमें घी भी मिला दें. अब इसे थोड़ा तल लें. तलने के बाद ठन्डे हो जाने पर इसका सेवन करे.

बुखार के और नुस्खे जानने के लिए आप इस पोस्ट का अगला पेज भी पड़ें, यहाँ ओर आयुर्वेदिक नुस्खे बताये गए है जिन्हे आप घर पर ही बनाकर बुखार से छुटकारा पा सकते है.

इस लेख को शेयर करे. साथ ही हमे बताये की आपको यह बुखार उतारने में गोली लेने से फायदा हुआ या नहीं.

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