नवनीत कविता 9th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]
तुकादास राम का, मन मेंएकहि भाव ।
तो न पालटूआवे, येही तन जाय ।।१।।
तुका रामसूं चिता बाँध राखूं, तैसा आपनी हात ।
घेनुबदरा छोर जावे, प्रेम न छुटेसात ।।२।।
चित सुंचित जब मिले, तब तन थंडा होय ।
तुका मिलना जिन्ह सुं, ऐसा बिरला कोय ।।३।।
चित्त मिलेतो सब मिले, नहिंतो फुकट संग ।
पानी पथर एक ही ठोर कोर न भीजेअंग ।।4।।
तुका संगत तिन सेकहिए, जिन सेसुख दुनाए ।
दुर्जन तेरा तूकाला, थीतो प्रेम घटाए ।।5।।।
तुका मिलना तो भला, मन सूंमन मिल जाय ।
उपर उपर मीटा घासनी, उन को को न बराय ।।६।।
तुका कुटुंब छोरेरेलड़के, जाेरो सिर मंुडाव ।
जब तेइच्छा नहीं मुई, तब तूँ किया काय ।।७।।
तुका इच्छा मीट नहीं तो, काहा करे जटा खाक ।
मथीया गोलाडार दिया तो, नहिं मिलेफेरन ताक ।।8।।।
ब्रीद मेरेसाइयाँको, तुका चलावेपास ।
सुरा सोहि लरेहम से, छोरेतन की आस ।।९।।
कहेतुका भला भया, हुआ संतन का दास ।
क्या जानूकेतेमरता, न मिटती मन की आस ।।१०।।
तुका और मिठाई क्या करूँ, पाले विकार पिंड ।
नवनीत कविता 9th हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ रसास्वादन ]
परिचय
जन्म ः खोजकर्ताओं केअनुसार आपका जन्म १६०8 केबीच देहू, पुणे(महाराष्ट्र)
मृत्यु ः १६5०
परिचय ः संत तुकाराम एक महान संत और कवि थे। वे सत्रहवीं शताब्दी केभारत में चल रहेभक्ति आंदोलन के प्रमुख स्तंभ थे। संत तुकाराम जी धर्म संरक्षण केसाथ- साथ पाखंड केखंडन का कार्य निरंतर रूप से किया । आपके ‘अभंग’ अंग्रेजी भाषा में भी अनूदित हुए हैं।
प्रमुख कृतियाँ ः ‘अभंग वाणी’ आपकी प्रमुख कृति है।
पद्य संबंधी
दोहरे ः कबीरदास जी केदोहेभी तुकाराम जी केसमय महाराष्ट्र में भली-भाँति प्रचलित थे। तुकाराम जी नेभी कुछ दोहरेबनाए । हिंदी दोहरों की दृष्टि सेइनमेंछंदोभंग तो पद-पद पर हैपर तुकाराम जी की अभंग कविता को किसी भंग का डरहीन था । इनदोहरों का भी आस्वाद लीजिए ।
प्रस्तुत दोहरों मेंतुकाराम जी ने हमेंनीति संबंधी उपदेश दि ए हैं। ये चरित्र संवर्धन मेंसहायक हो सकतेहैं।